श्री गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम् भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो नः प्रचोदयात्॥ सबकी रक्षा करने वाला भूः जो सब जगत् के जीवन का आधार, प्राण से भी प्रिय और स्व्यंभू है । भुवः जो सब दुखों से रहित । स्वः जो नानाविध जगत् में व्यापक होके सब का धारण करता है । सवितुः जो सब जगत् का उत्पादक और सब ऐश्वर्य का दाता है । देवस्य जो सब सुखों का देनेहारा और जिसकी प्राप्ति की कामना सब करते हैं । वरेण्यम् जो स्वीकार करने योग्य अतिश्रेष्ठ भर्गः शुध्द्स्वरूप और पवित्र करने वाला चेतन ब्रह्म्स्वरुप है । तत् उसी परमात्मा के स्वरुप को हम लोग धीमहि धारण करें किस प्रयोजन के लिये कि यः जो सविता देव परमात्मा नः हमारी धियः बुद्धियों को प्रचोदयात् प्रेरणा करे अर्थात बुरे कामों से छुड़ा कर अच्छे कामों में प्रवृत करें ।

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