श्री कृष्ण आरती (२)

ओम् जय श्री श्याम हरे, प्रभु जय श्री श्याम हरे | निज भक्तन के तुमने, निज…पूरण काम करे || ओम् जय… गल पुष्पों की माला सिर पर मुकुट धरे | पीत बसन पीताम्बर सोहै, पीत बसन…कुण्डल स्वर्ण पड़े || ओम… जय श्री श्याम हरे…प्रभु जय श्री श्याम… निज भक्तन के तुमने, निज…पुरण काम करे | ओम् जय… रतन सिंहासन राजत, सेवक भक्त खड़े | प्रभु सेवक… खेवत धूप…दीपक ज्योति जले || ओम् जय श्री श्याम हरे…प्रभु जय श्री श्याम… निज भक्तन के तुमने, निज…पूरण काम करे | ओम् जय… मोदक धिंर चूरमा, सुवरण थाल भरे | प्रभु कंचन… सेवक भोग लगावत, सेवक भोग…सिर पर चूवर दुले | ओम् जय… जय श्री श्याम हरे…प्रभु जय श्री श्याम… निज भक्तन के तुमने, निज…पूरण काम करे | ओम् जय… झांझ कटोरा और घड़ीयावल, शंख मृदंग बजे | प्रभु शंख… भक्त आरती गांवत, भक्त आरती…नौवत द्वार धृरे | ओम् जय… जय श्री श्याम हरे……प्रभु जय श्री श्याम… निज भक्तन के तुमने, निज……पूरण काम करे | ओम् जय… खाटूधाम विराजत, अनुपम रूप धरे | प्रभु अनुपम… सेवक खडे चरण में, सेवक खडे…पूरन काज करे | ओम् जय… जय श्री श्याम हरे प्रभु जय श्री श्याम… निज भक्तन के तुमने, निज पूरण काम करे | ओम् जय… जो ध्यावे फल हावे, सब दुःख से उबरे | प्रभु सब दुःख से… सेवक निज मुख से, सेवक निज…श्री श्याम-श्याम उचरे | ओम् जय श्री श्याम हरे…प्रभु जय श्री श्याम… निज भक्तन के तुमने, निज पुरण काम करे | ओम् जय…

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