श्री लक्ष्मी आरती (२)

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता । तुम को निस दिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥ जय० ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता… ब्रह्माणी रूद्राणी कमला, तू हि है जगमाता । सूर्य चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥ जय० ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता… दुर्गा रूप निरंजन, सुख सम्पति दाता । जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि सिद्धि धन पाता ॥ जय० ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता… तू ही है पाताल बसन्ती, तू ही है शुभ दाता । कर्म प्रभाव प्रकाशक, भवनिधि से त्राता ॥ जय० ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता… जिस घर थारो वासो, तेहि में गुण आता । कर न सके सोई कर ले, मन नहिं धड़काता ॥ जय० ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता… तुम बिन यज्ञ न होवे, वस्त्र न कोई पाता । खान पान को वैभव, सब तुमसे आता ॥ जय० ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता… शुभ गुण सुंदर मुक्त्ता, क्षीर निधि जाता । रत्त्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नही पाता ॥ जय० ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता… आरती लक्ष्मी जी की, जो कोई नर गाता । उर आनन्द अति उपजे, पाप उतर जाता ॥ जय० ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता… स्थिर चर जगत बचावे, शुभ कर्म नर लाता । राम प्रताप मैया की शुभ दृष्टि चाहता ॥ जय० ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता…

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