श्री काली आरती

प्रेमा सहिता नित करूँ आरती महाकाली मैया की आरी दला दरनी मंगला भरनी दुखहारिणी सुखदैया की तुम ही अगामा भाव भरने वाली तुम ही जगाता लय करने वाली तुम ही कष्ट लखि निजा भक्ताना परा अंकारा तुरता सहिया की तुम्हीं प्रबला हो मरि की शक्ति रूद्र भवा शंकर की भक्ति तुमहिं जननी पटवारा बनी िका सेवका सुंदरा नैया की

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