श्री बजरंग बाण चालीसा

॥ दोहा ॥ निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करै सनमान । तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करै हनुमान ॥ ॥ चौपाई ॥ जय हनुमन्त सन्त हितकारी । सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी ॥ जन के काज विलम्ब न कीजै । आतुर दौरि महा सुख दीजै ॥ जैसे कूदि सिन्धु वहि पारा । सुरसा बदन पैठि बिस्तारा ॥ आगे जाय लंकिनी रोका । मारेहु लात गई सुर लोका ॥ जाय विभीषण को सुख दीन्हा । सीता निरखि परम पद लीन्हा ॥ बाग उजारि सिन्धु महं बोरा । अति आतुर यम कातर तोरा ॥ अक्षय कुमार मारि संहारा । लूम लपेटि लंक को जारा ॥ लाह समान लंक जरि गई । जय जय धुनि सुर पुर महं भई ॥ अब विलम्ब केहि कारण स्वामी । कृपा करहुं उर अन्तर्यामी ॥ जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता । आतुर होइ दु:ख करहुं निपाता ॥ जय गिरिधर जय जय सुख सागर । सुर समूह समरथ भटनागर ॥ ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमन्त हठीले । बैरिहिं मारू बज्र की कीले ॥ गदा बज्र लै बैरिहिं मारो । महाराज प्रभु दास उबारो ॥ ॐकार हुंकार महाप्रभु धावो । बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो ॥ ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमन्त कपीसा । ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा ॥ सत्य होउ हरि शपथ पायके । रामदूत धरु मारु धाय के ॥ जय जय जय हनुमन्त अगाधा । दु:ख पावत जन केहि अपराधा ॥ पूजा जप तप नेम अचारा । नहिं जानत कछु दास तुम्हारा ॥ वन उपवन मग गिरि गृह माहीं । तुमरे बल हम डरपत नाहीं ॥ पाय परौं कर जोरि मनावों । यह अवसर अब केहि गोहरावों ॥ जय अंजनि कुमार बलवन्ता । शंकर सुवन धीर हनुमन्ता ॥ बदन कराल काल कुल घालक । राम सहाय सदा प्रतिपालक ॥ भूत प्रेत पिशाच निशाचर । अग्नि बैताल काल मारीमर ॥ इन्हें मारु तोहि शपथ राम की । राखु नाथ मरजाद नाम की ॥ जनकसुता हरि दास कहावो । ताकी शपथ विलम्ब न लावो ॥ जय जय जय धुनि होत अकाशा । सुमिरत होत दुसह दु:ख नाशा ॥ चरण शरण करि जोरि मनावों । यहि अवसर अब केहि गोहरावों ॥ उठु उठु चलु तोहिं राम दुहाई । पांय परौं कर जोरि मनाई ॥ ॐ चं चं चं चं चपल चलन्ता । ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता ॥ ॐ हं हं हांक देत कपि चञ्चल । ॐ सं सं सहम पराने खल दल ॥ अपने जन को तुरत उबारो । सुमिरत होय आनन्द हमारो ॥ यहि बजरंग बाण जेहि मारो । ताहि कहो फिर कौन उबारो ॥ पाठ करै बजरंग बाण की । हनुमत रक्षा करै प्राण की ॥ यह बजरंग बाण जो जापै । तेहि ते भूत प्रेत सब कांपे ॥ धूप देय अरु जपै हमेशा । ताके तन नहिं रहे कलेशा ॥ ॥ दोहा ॥ प्रेम प्रतीतिहिं कपि भजै, सदा धरै उर ध्यान । तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करै हनुमान ॥

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