श्री सूर्यदेव आरती (२)
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन । त्रिभुवन-तिमिर-निकन्दन, भक्त-हृदय-चन्दन ॥ जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन… सप्त-अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी । दु:खहारी, सुखकारी, मानस-मल-हारी ॥ जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन… सुर-मुनि-भूसुर-वन्दित, विमल विभवशाली। अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली ॥ जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन… सकल-सुकर्म-प्रसविता, सविता शुभकारी । विश्व-विलोचन मोचन, भव-बन्धन भारी ॥ जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन… कमल-समूह विकासक, नाशक त्रय तापा । सेवत साहज हरत अति मनसिज-संतापा ॥ जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन… नेत्र-व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा-हारी । वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी ॥ जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन… सूर्यदेव करुणाकर, अब करुणा कीजै । हर अज्ञान-मोह सब, तत्त्वज्ञान दीजै ॥ जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन…