श्री साईं बाबा आरती (३)
ॐ जय साईं हरे, बाबा शिरडी साईं हरे । भक्तजनों के कारण, उनके कष्ट निवारण ॥ शिरडी में अव-तरे, ॐ जय साईं हरे । ॐ जय साईं हरे, बाबा शिरडी साईं हरे ॥ दुखियन के सब कष्टन काजे, शिरडी में प्रभु आप विराजे । फूलों की गल माला राजे, कफनी, शैला सुन्दर साजे ॥ कारज सब के करें, ॐ जय साईं हरे । ॐ जय साईं हरे, बाबा शिरडी साईं हरे ॥ काकड़ आरत भक्तन गावें, गुरु शयन को चावड़ी जावें । सब रोगों को उदी भगावे, गुरु फकीरा हमको भावे ॥ भक्तन भक्ति करें, ॐ जय साईं हरे । ॐ जय साईं हरे, बाबा शिरडी साईं हरे ॥ हिन्दु मुस्लिम सिक्ख इसाईं, बौद्ध जैन सब भाई भाई । रक्षा करते बाबा साईं, शरण गहे जब द्वारिकामाई ॥ अविरल धूनि जरे, ॐ जय साईं हरे । ॐ जय साईं हरे, बाबा शिरडी साईं हरे ॥ भक्तों में प्रिय शामा भावे, हेमडजी से चरित लिखावे । गुरुवार की संध्या आवे, शिव, साईं के दोहे गावे ॥ अंखियन प्रेम झरे, ॐ जय साईं हरे । ॐ जय साईं हरे, बाबा शिरडी साईं हरे ॥ ॐ जय साईं हरे, बाबा शिरडी साईं हरे । शिरडी साईं हरे, बाबा ॐ जय साईं हरे ॥ श्री सद्गुरु साईंनाथ महाराज की जय ॥