श्री साईं बाबा आरती (२)

आरती श्री साईं गुरुवर की । परमानन्द सदा सुरवर की ॥ जा की कृपा विपुल सुखकारी । दुःख, शोक, संकट, भयहारी ॥ शिरडी में अवतार रचाया । चमत्कार से तत्व दिखाया ॥ कितने भक्त चरण पर आये । वे सुख शान्ति चिरंतन पाये ॥ भाव धरै जो मन में जैसा । पावत अनुभव वो ही वैसा ॥ गुरु की उदी लगावे तन को । समाधान लाभत उस मन को ॥ साईं नाम सदा जो गावे । सो फल जग में शाश्वत पावे ॥ गुरुवासर करि पूजा-सेवा । उस पर कृपा करत गुरुदेवा ॥ राम, कृष्ण, हनुमान रूप में । दे दर्शन, जानत जो मन में ॥ विविध धर्म के सेवक आते । दर्शन कर इच्छित फल पाते ॥ जै बोलो साईं बाबा की । जो बोलो अवधूत गुरु की ॥ 'साईंदास' आरती को गावे । घर में बसि सुख, मंगल पावे ॥ अनंतकोटी, ब्रह्माण्डनायक । राजाधिराज, योगिराज ॥ जय जय जय साईं बाबा की । आरती श्री साईं गुरुवर की ॥

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