श्री शिव आरती (४)

आ गई महाशिवरात्रि पधारो शंकर जी । हो पधारो शंकर जी ॥ आरती उतारें पार उतारो शंकर जी । हो उतारो शंकर जी ॥ तुम नयन नयन में हो मन मन में धाम तेरा हे नीलकंठ है कंठ कंठ में नाम तेरा हो देवो के देव जगत के प्यारे शंकर जी तुम राज महल में तुम्ही भिखारी के घर में धरती पर तेरा चरन मुकुट है अम्बर में संसार तुम्हारा एक हमारे शंकर जी तुम दुनिया बसाकर भस्म रमाने वाले हो पापी के भी रखवाले भोले भाले हो दुनिया में भी दो दिन तो गुजरो शंकर जी क्या भेंट चढ़ाये तन मैला घर सूना है ले लो आंसू के गंगा जल का नमूना है आ करके नयन में चरण पखारो शंकर जी ।

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