श्री वैष्णो देवी आरती (५)

माँ शोक दुःख निवारिणी, हे सर्व मंगल करनी । हे चाँद-मुंड विदारिणी, तू ही शुम्भ-निशुम्भ संघारिणी ॥ हे महिषा-दानव मर्दिनी, काली है तू ही कपालिनी । हे माँ तू सृष्टि सृजन करे, तू ही दानवो का कलां करे ॥ दुर्गा तू ही लक्ष्मी तू ही, तू ही सरस्वती का स्वरुप है । कण-कण में तू ही समाई है, तू ही चाव है तू ही धुप है ॥ हे चिन्तपुरनी नमोस्तुते, हे ज्वाला देवी नमोस्तुते । माँ शेरा वाली नमोस्तुते, चामुंडा देवी नमोस्तुते ॥ कामाखया देवी नमोस्तुते, मीनाक्षी देवी नमोस्तुते । हे सर्व शक्ति नमोस्तुते, तू ही योग-भक्ति नमोस्तुते ॥ नमोस्तुते, नमोस्तुते, नमोस्तुते, नमोस्तुते…

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