श्री वैष्णो देवी आरती (४)
जय वैष्णवी माता, मैया जय वैष्णवी माता । हाथ जोड़ तेरे आगे, आरती मैं गाता ॥ शीश पे छत्र विराजे, मूरतिया प्यारी। गंगा बहती चरनन, ज्योति जगे न्यारी ॥ ब्रह्मा वेद पढ़े नित द्वारे, शंकर ध्यान धरे । सेवक चंवर डुलावत, नारद नृत्य करे ॥ सुंदर गुफा तुम्हारी, मन को अति भावे । बार-बार देखन को, ऐ माँ मन चावे ॥ भवन पे झण्डे झूलें, घंटा ध्वनि बाजे । ऊँचा पर्वत तेरा, माता प्रिय लागे ॥ पान सुपारी ध्वजा नारियल, भेंट पुष्प मेवा । दास खड़े चरणों में, दर्शन दो देवा ॥ जो जन निश्चय करके, द्वार तेरे आवे । उसकी इच्छा पूरण, माता हो जावे ॥ इतनी स्तुति निश-दिन, जो नर भी गावे । कहते सेवक ध्यानू, सुख सम्पत्ति पावे ॥