श्री लक्ष्मी आरती (१)
जय लक्ष्मी रमणा श्री जय लक्ष्मी रमणा, शरणागत जय शरण गोवर्धन धारणा । टेक जै जै युमना तट निकटित प्रगटित बटुवेषा । अटपट गोपी कुंज तट पट पर नटवर वेषा ॥ जय० ॥ जय जय जय रघुवीर कंसारे । पति कृपा वारे संसारे ॥ जय० ॥ जय जय गोपी पलक बन्धो । जय माता तुम कृष्ण कृपा सिन्धो ॥ जय० ॥ जै जै भक्तजन प्रतिपालक चिरंजीवो विष्णो । मामुद्धर दिनो घरणीघर विष्णो ॥ जय० ॥ जै जै कृष्ण निजपत रस सागर में । कुरु करुणा कुरु करुणा दास सखासिख में ॥ जय० ॥