श्री भैरवनाथ आरती (२)
ओम जय भैरव बाबा, स्वामी जय भैरव बाबा । नमो विश्व भूतेष भुजंगी, मंजुल कहलावा ॥ उमानन्द अमरेश विमोचन, जनपद सिर नावा । काशी के कुतवाल आपको सकल जगत ध्यावा ॥ स्वान सवारी बटुकनाथ प्रभु पी मद हर्षावा । रवि के दिन जग भोग लगावें मोदक तन भावा ॥ भीष्म भीम कृपालु त्रिलोचन खप्पर भर खावा । शेखर चन्द्र कृपाल शशि प्रभु, मस्तक चमकावा ॥ गलमुण्ड की माला अतिशोभित, सुन्दर दरसावा । नमो नमो आनन्द कन्द प्रभु, लटकत मठ झावा ॥ कर्षतुंड शिव कपिल त्र्यम्बक यश जग में छावा । जो जन तुमसे ध्यान लगावत संकट नहिं पावा ॥ 'छीतरमल' जन शरण तुम्हारी आरती प्रभु गावा । ओम जय भैरव बाबा स्वामी जय भैरव बाबा ॥