श्री भैरवनाथ आरती (१)

जय भैरव देवा प्रभु जय भैरव देवा । जय काली और गौरा कृतसेवा ॥ ॐ जय भैरव देवा… तुम पापी उद्धारक दुख सिन्धु तारक । भक्तों के सुखकारक भीषण वपु धारक ॥ ॐ जय भैरव देवा… वाहन श्वान विराजत कर त्रिशूल धारी । महिमा अमित तुम्हारी जय जय भयहारी ॥ ॐ जय भैरव देवा… तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होवे । चतुर्वतिका दीपक दर्शन दुःख खोवे ॥ ॐ जय भैरव देवा… तेल चटकी दधि मिश्रित माषवली तेरी । कृपा कीजिये भैरव करिये नहीं देरी ॥ ॐ जय भैरव देवा… पाँवों घुंघरू बाजत डमरू डमकावत । बटुकनाथ बन बालक जन मन हरषवत ॥ ॐ जय भैरव देवा… बटुकनाथ की आरती जो कोई जन गावे । कहे ' धरणीधर ' वह नर मन वांछित फल पावे ॥ ॐ जय भैरव देवा…

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