श्री परशुराम आरती (१)
शौर्य तेज बल-बुद्घि धाम की ॥ रेणुकासुत जमदग्नि के नंदन । कौशलेश पूजित भृगु चंदन अज अनंत प्रभु पूर्णकाम की । आरती कीजे श्री परशुराम की ॥१॥ नारायण अवतार सुहावन । प्रगट भए महि भार उतारन ॥ क्रोध कुंज भव भय विराम की । आरती कीजे श्री परशुराम की ॥२॥ परशु चाप शर कर में राजे । ब्रम्हसूत्र गल माल विराजे ॥ मंगलमय शुभ छबि ललाम की । आरती कीजे श्री परशुराम की ॥३॥ जननी प्रिय पितु आज्ञाकारी । दुष्ट दलन संतन हितकारी ॥ ज्ञान पुंज जग कृत प्रणाम की । आरती कीजे श्री परशुराम की ॥४॥ परशुराम वल्लभ यश गावे । श्रद्घायुत प्रभु पद शिर नावे ॥ छहहिं चरण रति अष्ट याम की । आरती कीजे श्री परशुराम की ॥५॥