श्री तुलसी आरती (२)

तुलसी महारानी नमो नमो, हरी की पटरानी नमो नमो । धन तुलसी पूरण तप कीनो, शालिग्राम बनी पटरानी । जाके पत्र मंजर कोमल, श्रीपति कमल चरण लपटानी ॥ धुप दीप नैवेद्य आरती, पुष्पन की वर्षा बरसानी । छप्पन भोग छत्तीसो व्यंजन, बिन तुलसी हरी एक ना मानी ॥ सभी सखी मैया तेरो यश गावे, भक्तिदान दीजै महारानी । नमो नमो तुलसी महारानी, नमो नमो तुलसी महारानी ॥

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