श्री चंद्रदेव आरती (१)
ॐ जय श्रीचन्द्र यती, स्वामी जय श्रीचन्द्र यती । अजर अमर अविनाशी योगी योगपती । सन्तन पथ प्रदर्शक भगतन सुखदाता, अगम निगम प्रचारक कलिमहि भवत्राता । कर्ण कुण्डल कर तुम्बा गलसेली साजे, कंबलिया के साहिब चहुँ दीश के राजे । अचल अडोल समाधि प्झासा सोहे बालयती बनवासी देखत जग मोहे । कटि कौपीन तन भस्मी जटा मुकुट धारी, धर्म हत जग प्रगटे शंकर त्रिपुरारी । बाल छबी अति सुन्दर निशदिन मुस्काते, भ विशाल सुलोचन निजानन्दराते । उदासीन आचार्य करूणा कर देवा, प्रेम भगती वर दीजे और सन्तन सेवा । मायातीत गुसाई तपसी निष्कामी, पुरुशोत्तम परमात्म तुम हमारे स्वामी । ऋषि मुनि ब्रह्मा ज्ञानी गुण गावत तेरे, तुम शरणगत रक्षक तुम ठाकुर मेरे । जो जन तुमको ध्यावे पावे परमगती, श्रद्धानन्द को दीजे भगती बिमल मती । अजर अमर अविनाशी योगी योगपती । स्वामी जय श्रीचन्द्र यती