श्री गायत्री आरती (१)
जय गायत्री माता जयति, जय गायत्री माता, सत् मारग पर हमें चलाओ, जो है सुखदाता, आदि शक्ति तुम अलख निरंजन जग पालन कर्त्री, दुःख, शोक, भय, क्लेश, कलह दारिद्रय दैन्य हर्त्री ॥ ब्रहृ रुपिणी, प्रणत पालिनी, जगतधातृ अम्बे, भवभयहारी, जनहितकारी, सुखदा जगदम्बे, भयहारिणि भवतारिणि अनघे, अज आनन्द राशी, अविकारी, अघहरी, अविचलित, अमले, अविनाशी ॥ कामधेनु सत् चित् आनन्दा, जय गंगा गीता, सविता की शाश्वती शक्ति, तुम सावित्री सीता, ऋग्, यजु, साम, अर्थव, प्रणयिनी, प्रणव महामहिमे, कुण्डलिनी सहस्त्रार, सुषुम्ना, शोभा गुण गरिमे ॥ स्वाहा, स्वधा, शची, ब्रहाणी, राधा, रुद्राणी, जय सतरुपा, वाणी, विघा, कमला, कल्याणी, जननी हम है, दीन, हीन, दुःख, दारिद के घेरे, यदपि कुटिल, कपटी कपूत, तऊ बालक है तेरे ॥ स्नेहसनी करुणामयि माता, चरण शरण दीजै, बिलख रहे हम शिशु सुत तेरे, दया दृष्टि कीजै, काम, क्रोध, मद, लोभ, दम्भ, दुर्भाव, द्घेष हरिये, शुद्घ बुद्धि, निष्पाप हृदय, मन को पवित्र करिये ॥ तुम समर्थ सब भाँति तारिणी, तुष्टि, पुष्टि त्राता, सत् मारग पर हमें चलाओ, जो है सुखदाता ॥