श्री गणेश आरती (४)

गाइये गणपति जगवंदन शंकर सुवन भवानी नंदन (२) सिद्धि सदन गज वदन विनायक कृपा सिन्धु सुन्दर सब दायक… गाइये मोदक प्रिय माध मंगल दाता विद्या वर्धि बुद्धि विधाता… गाइये मंगत तुलसी दास कर जोरे बस हूँ राम सिया मानस मोरे… गाइये

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