श्री गणेश आरती (३)
शेंदूर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुखा को दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरिहार को हाथ लिए गुड लड्डू साई सुखार को महिमा कही न जाय लागत हूँ पद को जय जय जय जय जय जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मत रामता जय देव जय देव आस्था सिद्धि दासी संकट को बैरी विघ्न विनाशन मंगल मूरत अधिकारी कोटि सूरज प्रकाश ऐसे छबि तेरी गंडस्थल मदमस्तक झूल शशि बेहरी जय जय जय जय जय जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मत रामता जय देव जय देव भावभगत से कोई शरणागत आवे संतति संपत्ति सबही भरपूर पावे ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे गोसावीनन्दन निशिदिन गुण गावे जय जय जय जय जय जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मत रमता जय देव जय देव