श्री गणेश आरती (२)

आरती गजबदन विनायककी । सुर-मुनि-पूजित गणनायककी ॥ आरती गजबदन विनायककी ॥ एकदन्त शशिभाल गजानन, विघ्नविनाशक शुभगुण कानन । शिवसुत वन्द्यमान-चतुरानन, दुःखविनाशक सुखदायक की ॥ आरती गजबदन विनायककी ॥ ऋद्धि-सिद्धि-स्वामी समर्थ अति, विमल बुद्धि दाता सुविमल-मति । अघ-वन-दहन अमल अबिगत गति, विद्या-विनय-विभव-दायककी ॥ आरती गजबदन विनायककी ॥ पिङ्गलनयन, विशाल शुण्डधर, धूम्रवर्ण शुचि वज्रांकुश-कर । लम्बोदर बाधा-विपत्ति-हर, सुर-वन्दित सब विधि लायककी ॥ आरती गजबदन विनायककी ॥

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