श्री गणपती मंत्र
वक्रतुण्ड महाकाय सुर्यकोति समप्रभा । निर्विघ्नंम् कुरुमेदेव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥१॥ ॐ तदपुरुष्हाय विद्धमहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ति प्रचोदयातः ॥२॥ जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा । माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥३॥ एक दंत दयावंत, चार भुजाधारी । माथे पर तिलक सोहे, मूसे की सवारी ॥४॥ पान चड़ें, फूल चड़ें और चड़ें मेवा । लडुअन को भोग लगे, संत करे सेवा ॥५॥ अंधें को आँख देत, कोड़िन को काया । बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥६॥ सूरश्याम शारण आए सफल कीजे सेवा । माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥७॥ जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥८॥