श्री अन्नपूर्णा आरती (२)
बारम्बार प्रणाम मैया बारम्बार प्रणाम जो नहीं ध्यावे तुम्हें अमिबके, कहां उसे विश्राम । अन्नपूर्णा देवी नाम तिहारो, लेत होत सब काम ॥ प्रलय युगान्तर और जन्मान्तर, कालान्तर तक नाम । सुर सुरों की रचना करती, कहाँ कृष्ण कहं राम ॥ चूमहि चरण चतुर चतुरानन, चारू चक्रधर श्याम । चन्द्र चूड़ चन्द्रानन चाकर, शोभा लखहि ललाम ॥ देवी देव दयनीय दशा में, दया दया तब जाम । त्राहि-त्राहि शरणागत वत्सल, शरणरूप तब धाम ॥ श्री ह्रीं श्रद्धा भी ऐ विधा, श्री कलीं कमला काम । कानित भ्रांतिमयी कांतिशांति, सयीवर दे तू निष्काम ॥